तुम्हे कौन काम देगा. कमी किस बात की वैसे.. मैं हूँ ना"
फिर एक दिन गांव में एक बड़ी समस्या आई। गांव के सारे तालाब सूख गए थे और लोगों को पानी की बहुत कमी हो गई थी। गांव वाले बहुत चिंतित थे और सोच रहे थे कि अब क्या किया जाए।
द्वीप पर पहुंचते ही दोनों दोस्तों ने अपनी नाव किनारे पर खड़ी करी और जंगल की ओर बढ़ने लगे। धीरे धीरे जंगल घना होता चला गया और अजीब सी आवाज आने लगी। चलते चलते राहुल अपने दोस्त से बिछड़ गया। उसने चारों ओर देखा लेकिन कोई नजर नहीं आया।
रास्ता सुनसान था इसलिए दादा जी ने सोचा कि इस महिला after sex bleeding की मदद करना जरूरी है। उन्होंने महिला से पूछा कि वह इस जंगल में अकेले क्या कर रही है। महिला ने कोई जवाब नहीं दिया और जोर-जोर से रोती रही। ऐसा लग रहा था कि सारा जंगल उस महिला के रोने की आवाज से गूंज रहा हो।
जिस वक़्त उनकी किताब छपी, लगभग तभी सिंथिया निक्सन और मारिया बेलो जैसी अमेरिकी सेलिब्रिटीज़ ने सार्वजनिक तौर पर महिलाओं के प्रति आकर्षित होने की बात की.
मेवाराम जैन ने कुछ दिन पूर्व अपने कार्यालय में कार्यकर्ताओं की एक बड़ी बैठक बुलाई थी. इस बैठक में बड़ी संख्या में उनके कार्यकर्ताओं के साथ-साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता भी शामिल हुए थे. ऐसे में राजनीतिक जानकारों की माने तो आगामी पंचायती राज एवं नगर परिषद के चुनावों की रणनीति बनाने में लगे हैं.
सीरीज़ की बात करें तो एक डिटेक्टिव एजेंसी से शुरु हुई चुड़ैल्स की कहानी आपको एक गहरे काले सफ़र पर ले जाती है जहाँ बलात्कार, ड्रग्स, क़त्ल,फ़रेब, तस्करी सब कुछ है - एक ऐसी दुनिया जिसका सामना करने की इन चुड़ैलों ने सोची तो नहीं थी लेकिन जब सामना हुआ तो प्यार, तकरार,गोलियाँ, गालियाँ सब तरह के हथकंड़ों से सामना किया.
चटर्जी मानती हैं कि उनकी फिल्म देखने वाले भी भारत में बहुत रहते हैं. वह कहती हैं, "मुझे ऐसा लगता है कि इंडिया में हम लोग बहुत अलग अलग समुदायों में रहते हैं. बहुत अलग अलग ढंग के लोग हैं. कुछ लोगों को बहुत पसंद आएगी तो कुछ कहेंगे कि ये क्या हो रहा है. क्योंकि इंडिया में कोई एक नहीं है."
इस तरह उन्होंने न केवल अपनी जान बचाई बल्कि खजाना भी सुरक्षित अपने साथ ले गए। उन्होंने अपने गांव लौटकर उस खजाने से एक नया और सुरक्षित जीवन शुरू किया।
छत्तीसगढ़: 'अप्राकृतिक सेक्स' के लिए पति को मिली नौ साल की सज़ा का फ़ैसला अहम क्यों?
इस सीरीज़ में ट्रांसजेंडर से लेकर लेस्बियन औरते हैं.''
एक दिन राजू नाम का बहादुर लड़का उस चुड़ैल को पकड़ने का निर्णय लेता है। राजू अपने दोस्तों को बुलाकर उन्हें इस चुड़ैल के बारे में बताता है तो उसके दोस्त राजू की बातों में हामी भर देते हैं और रात होते ही वह उस चुड़ैल के घर के पास चले जाते हैं और वहां पहुंचने के बाद वह लोग देखते हैं कि चुड़ैल बच्चों के साथ खेल रही थी।
इसे लेकर आधिकारिक तौर पर मुख्यधारा की चर्चाएं शुरू हो गईं.
लेकिन बतौर आर्टिस्ट आपकी सबसे बड़ी सफलता यही है कि आपका काम समाज में एक नई बहस शुरू कर सके.. शायद आने वाले दिनों में ऐसी कहानियाँ ख़ुद औरतें ही पर्दे पर लाएँगी. एक मर्द को ऐसा नहीं करना पड़ेगा."